खैनी (कहानी) II Khaini (Kahani, Story)
मेरा नाम रजनीश कांत है| मैं मुंबई में पत्रकार हूं| मुझे गाना लिखने और गाने का शौक है। साथ ही मैं कविता और कहानी भी लिखता हूं। तो, मुझे लगा कि मैं अपने शौक को आपके साथ साझा करूं। आपसे मुझे सहयोग की उम्मीद है।
सोमवार, 27 जनवरी 2025
खैनी (कहानी) II Khaini (Kahani, Story)
मंगलवार, 16 जुलाई 2024
Audio Kahani:Sejal Bin Sab Soon (Story)II SEJALRAJA II सेजलराजा II
शनिवार, 8 जून 2024
सेजल बिन सब सून (कहानी); Sejal Bin Sab Soon (Story)II SEJALRAJA II सेजलराजा II
सेजल बिन सब सून (कहानी); Sejal Bin Sab Soon (Story)II SEJALRAJA II सेजलराजा II
शाम के करीब साढ़े छह बज रहे हैं। गर्मी का दिन है। तपते सुरज की तपिश धीरे धीरे कम हो रही है, सूर्य भी अब अस्त हो रहा है, सुरज की लालिमा अब खत्म हो रही है। इन सबके बीच मुंबई से सटे नालासोपारा पश्चिम का सरकारी उद्यान वृंदावन गार्डेन में चहल-पहल है। बच्चे, बुढ़े, जवान, मर्द, महिलाएं सब के सब कुदरत का आनंद लेने में मशगूल हैं। कुछ दोस्तों संग बेंच पर बैठकर गपशप कर रहे हैं, कुछ वॉक कर रहे हैं. कुछ वीडियो बना रहे हैं, कुछ व्यायाम कर रहे हैं, कुछ डांस प्रैक्टिस कर रहे हैं, कुछ परिवार के साथ बैठकर नाश्ता कर रहे हैं, कुछ अलग अलग खेल खेल रहे हैं। कह सकते हैं कि पूरी फिजा में रोमानियत है।
गार्डेन के सारे पीपल, आम, नीम, नारियल, अमरूद, आम, सारे फूलों के पेड़ हवा संग मस्तियां कर रहे हैं, पत्ते भी मदमस्त होकर झूम रहे हैं, रंग-बिरंगे फूलों का भी क्या कहना, वो सब भी अपने मनमोहक डांस से सबको रोमांचित होने का चांस दे रहे हैं।
भले ही वृंदावन गार्डेन के पीपल, आम, नीम, नारियल, अमरूद, आम, सारे फूलों के पेड़ हवा संग मस्तियां कर रहे हैं, लेकिन उनमें एक उदासी छाई हुई सी लग रही है।
पत्ते भी मदमस्त होकर झूम रहे हैं, लेकिन उनमें किसी तरह का उत्साह नहीं दिख रहा है।
रंग-बिरंगे फूल भले ही अपने मनमोहक डांस से सबको रोमांचित होने का चांस दे रहे हैं, लेकिन उनमें वो जोश नहीं दिख रहा है, जो हमेशा से दिखता है।
मैंने हवा संग मस्तियां कर रहे पेड़ों से पूछा- तुमलोग मस्तियां तो कर रहे हो, लेकिन तुम लोगों में उदासी क्यों छाई है?
फिर, मैंने मदमस्त होकर झूम रहे पत्तों से पूछा- तुम लोगों में किसी तरह का उत्साह क्यों नहीं दिख रहा है?
मैंने मनमोहक डांस कर रहे फूलों से भी पूछा- तुम लोगों में आज वो जोश नहीं दिख रहा है, जो हमेशा से दिखाई देता है।
मुझसे पेड़ों ने, पत्तों ने, फूलों ने एक स्वर में कहा- अरे, यार पिछले तीन हफ्ते से गार्डेन में हंसती-मुस्कराती इतराती खूबसूरत सबकी चहेती सेजल नहीं आ रही है। मैंने उनके जवाब पर चौंकते हुए पूछा- ये सेजल कौन है ? हर दिन सुबह- शाम गार्डेन में इतने सारे लोग आते हैं, फिर केवल सेजल के नहीं आने से तुम लोगों में इतमी मायूसी क्यों है?
तब पेड़ों,पत्तों, फूलों ने मुझसे कहा- तुम्हें नहीं पता है क्या। सिर्फ हम लोग ही नहीं, गार्डेन में शाम को आने वाले सारे लोग सेजल के तीन हफ्ते से नहीं आने से मायूस हैं, उदास हैं, बेचैन हैं। मैंने उनकी बातों पर हैरान होते हुए कहा- मतलब, वृ़दावन गार्डन में 'सेजल बिन सब सून' ऐसा है क्या? सबने एक स्वर में मुझसे कहा- बिल्कुल, तुम सही समझे।
मैंने कहा, तुम सब को कैसे पता, कि गार्डेन में आने वाले सारे लोग सेजल के नहीं आने से मायूस हैं? तब सबने कहा, वो सामने वाला दो बेंच देख रहे हो। गार्डन में टहलने वाले गोल रास्ते में लोगों के बैठने के लिए कई बेंच रखे हुए हैं, उन्हीं में से उन सब ने दो बेंच की तरफ इशारा किया।
मैंने कहा- यहां तो बहुत सारे बेंच रखे हुए हैं, लेकिन तुम सब केवल दो बेंच की ही बात क्यों कर रहे हो? मेरे इस सवाल पर गार्डन के पेड़, पत्ते और फूलों ने जो कहा, उससे मैं क्या, कोई भी चौंक जाएगा। मैंने कहा, ऐसा क्या है आखिर।
तब सबने मुझसे कहा। उन दोनों बेंच पर शाम को गार्डन के खुलने से लेकर गार्डन के बंद होने तक यानी शाम के 4 बजे से लेकर 8 बजे तक 75-80 साल के 7-8 बुजुर्ग बैठते हैं। और सबको हर दिन 30-35 साल की शादी-शुदा सेजल का इंतजार रहता है। उन सब ने ही मुझसे कहा कि, सेजल जब भी गार्डन आती है शाम साढ़े 6 बजे के करीब आती है।
कुछ देर घूमती है और कुछ देर बेंच पर बैठ कर खुले आसमान तले आजादी का आनंद उठाती है और फिर अपने घर चली जाती है। हमेशा अकेली रहती है। ज्यादातर समय अपने मोबाइल पर लगी रहती है। केवल एक महिला के साथ अक्सर दिखाई देती है सेजल ।
मैंने पूछा, कि गार्डन में बहुत सारे लोग आते हैं, लेकिन तुम सब को कैसे पता कि जो 75-80 साल के 7-8 बुजुर्ग हैं, उनको सेजल का ही इंतजार रहता है। तब सबने कहा-सेजल के आने तक उन सभी का ध्यान अपनी अपनी घड़ियों और गार्डन के गेट पर रहता है। जैसे ही सेजल गार्डन में प्रवेश करती है और उन बुजुर्गों की निगाहों से गुजरती है, तो उनमें एक अजीब सी हलचल होने लगती है। सभी बुजुर्ग आंखों ही आंखों में सेजल के आने की खुशी जाहिर करते हैं और सेजल के विपरीत दिशा से घूमना शुरू कर देते हैं। मैंने चौंकते हुए कहा-अच्छा, ये बात है।
सेजल पर गलत निगाह रखने वाले उन बुजुर्गों के बारे में पेड़, पत्तों, फूलों ने एक बात और जो मुझसे कहा, उससे मेरे पैरों तली जमीन घिसक गई। एक पेड़ ने कहा- जब एक दिन सेजल काफी देरी से गार्डन में आई तो सारे बुजुर्ग काफी बैचेन थे।
जब सेजल ने घूमना शुरू किया, तो उन 7-8 बुजुर्गों में से दो बुजुर्गों ने भी सेजल के विपरीत दिशा से घूमना शुरू किया और जब वो दोनों सेजल के बगल से गुजर रहे थे, तो उनमें से एक ने दूसरे बुजुर्ग से कहा कि-ये महिला काफी इंतजार करवाती है! मैंने चौंकते हुए कहा, कि ओहो, ऐसी बात है।
मैंने उन सबसे कहा, कि ये तो बहुत गंभीर बात है। सेजल के बाप-दादा की उम्र के बुजुर्गों की इतनी गंदी निगाह, उन बुजुर्गों को तो शर्म आनी चाहिए, अपनी ऐसी घटिया नीयत पर।
फिर, मैंने पेड़ों, पत्तों, फूलों से कहा कि ये तो रही 7-8 घटिया बुजुर्गों की बात, जो सेजल पर गलत नीयत रखते हैं। ऐसे लोगों को तो सार्वजनिक जगहों पर एंट्री पर ही रोक लगा देनी चाहिए। अपने बुढ़ापे के गलत फायदा उठाने वालों को बहिष्कार करना चाहिए। तो, अब बताओ तुम सब और कैसे कह सकते हो कि इस गार्डन में सेजल बिन सब सून रहता है।
तब उन सब ने कहा कि हम सबने गार्डन आने वाली की महिलाओं को सेजल की खूबसूरती, उसके चलने, बात करने, मुस्कराने की अदाओं पर जलते देखा है। यही नहीं, गार्डन में आने वाले बहुत सारे बच्चे भी सेजल के आकर्षण में डूबे दिखाई देते हैं।
मैंने मन ही मन सोचा- सेजल को लेकर गार्डन में जब इतनी दीवानगी है, तो सचमुच हम कह सकते हैं कि- सेजल बिन सब सून।
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